लखनऊ, 1 नवम्बर 2025:
नवाबी शहर लखनऊ ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। यूनेस्को (UNESCO) ने लखनऊ को अपनी “क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क” सूची में “गैस्ट्रोनॉमी” (भोजन कला) श्रेणी में शामिल किया है। यह सम्मान लखनऊ की समृद्ध अवधी रसोई और उसकी अनोखी पाक परंपराओं के लिए दिया गया है।
यह घोषणा यूनेस्को ने विश्व नगर दिवस (World Cities Day) पर की, जिसमें दुनिया भर के 55 शहरों को विभिन्न रचनात्मक क्षेत्रों — जैसे संगीत, कला, डिज़ाइन और भोजन — में चुना गया।
लखनऊ क्यों चुना गया:
लखनऊ की मुग़लई-अवधी पाककला सदियों से अपने स्वाद और नफासत के लिए जानी जाती है। गलौटी कबाब, टुंडे कबाबी, लखनवी बिरयानी, शीरमाल, नहारी और कोरमा जैसे व्यंजन न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हैं।
यहाँ के पारंपरिक रकाबदार और बावर्ची परिवार आज भी पुराने नुस्खों और पकाने की विधियों को जिंदा रखे हुए हैं।
चौक, अमीनाबाद, हजरतगंज जैसे इलाकों की गलियों में मिलने वाला स्ट्रीट फूड लखनऊ की असली पहचान बन चुका है।
सरकार और नागरिकों की प्रतिक्रिया:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊवासियों को बधाई देते हुए कहा कि यह गौरव न केवल शहर का बल्कि पूरे प्रदेश का है। उन्होंने कहा कि इससे पर्यटन, रोजगार और सांस्कृतिक पहचान को नया बल मिलेगा।
शहर के शेफ और रेस्टोरेंट संचालक इसे “लखनऊ की स्वाद परंपरा को विश्व पटल पर लाने वाला ऐतिहासिक पल” बता रहे हैं।
महत्त्व:
इस सम्मान के साथ लखनऊ अब हैदराबाद (2019) के बाद भारत का दूसरा शहर बन गया है जिसे यह वैश्विक पहचान मिली है।
अब शहर यूनेस्को के अंतर्गत चलने वाले कार्यक्रमों में भाग लेकर सतत खाद्य परंपरा, पाक शिक्षा और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को आगे बढ़ाएगा।
संक्षेप में:
यूनेस्को का यह दर्जा लखनऊ की नवाबी तहज़ीब, पाक कला और मेहमाननवाज़ी की वैश्विक पहचान है — जिसने एक बार फिर साबित किया है कि “जो लखनऊ आया, वो यहाँ के स्वाद को भूल नहीं पाया।”


