यूपी की राजधानी लखनऊ में 8200 ऐसे स्कूली वाहन हैं जो न आरटीओ में पंजीकृत हैं और न ही स्कूल उन्हें चलवा रहे हैं। समझिए किस स्तर की लापरवाही चल रही है।
शहर में 8200 से ज्यादा भूतिया वाहन बच्चों को स्कूल ले जाते हैं और उनको घर पहुंचाते हैं। ये वाहन न तो स्कूलों के हैं और न ही स्कूलों ने उन्हें अनुबंधित किया है। न ही क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में स्कूली वाहन के तौर पर दर्ज हैं। खास बात है कि अभिभावक अपनी रजामंदी से ऐसे वाहनों में अपने बच्चों को स्कूल भिजवा रहे हैं।
शहीद पथ पर बच्चों को स्कूल ले जा रही निजी वैन शुक्रवार को हादसे की शिकार हो गई थी। हादसे में छह बच्चे घायल हो गए। मामले में सामने आया कि निजी वैन का कॉमर्शियल इस्तेमाल किया जा रहा था। जो न स्कूल से अनुबंधित थी, न ही आरटीओ में स्कूली वैन के तौर पर पंजीकृत थी। आरटीओ के अफसरों के अनुसार लखनऊ में 8200 से ज्यादा ऐसे भूतिया वाहन हैं, जिनकी उन्हें तलाश है। इन वाहनों का विवरण आरटीओ में स्कूली वाहन के तौर पर दर्ज नहीं है, इसलिए इन्हें तलाशना आसान नहीं है। ऐसे में यह आशंका हमेशा बनी रहती है कि इन भूतिया वाहनों से हादसा होने पर जिम्मेदार कौन होगा।
इसलिए चल रहे ऐसे वाहन
परिवहन विभाग के अफसर बताते हैं कि अभिभावक पैसे बचाने के चक्कर में ऐसे वाहनों को बुक करते हैं, जो स्कूली वाहन के तौर पर दर्ज नहीं होते। ऐसे वाहन अनुबंधित भी नहीं होते हैं। इसलिए इनका विवरण आरटीओ के पास नहीं मिलता। लिहाजा ऐसे वाहनों की तलाश वृहद स्तर पर अभियान चलाकर ही की जा सकती है, जिसके लिए संसाधनों की कमी है।
मिशन भरोसा से जुड़ने से बच रहे
मंडलायुक्त डा. रोशन जैकब की पहल पर स्कूली बच्चों के सुरक्षित सफर के लिए मिशन भरोसा एप के जरिए चालक, वाहन स्वामी, अभिभावकों आदि को जोड़ने की योजना बनाई गई। पर, वाहन मालिक व ड्राइवर इससे जुड़ने से बच रहे हैं। इसकी मुख्य वजह ऐसे भूतिया वाहन ही निकलकर आ रहे हैं। एप से जुड़ जाने पर लोकेशन ट्रैक की जा सकेगी, ड्राइवर की पूरी कुंडली दर्ज होगी। एप पर पुलिस वेरिफिकेशन करवाने की भी सुविधा है।
क्या होते हैं भूतिया वाहन
भूतिया उन वाहनों को कहते हैं, जिनका विवरण आरटीओ में स्कूली वाहन के तौर पर दर्ज नहीं है। न ही इन वाहनों को स्कूलों की ओर से चलाया जाता है, न ही ऐसे वाहन स्कूलों से अनुबंधित होते हैं। ये भूतिया वाहन कॉमर्शियल ऑटो, वैन या ई रिक्शा भी हो सकते हैं।
800 स्कूली वाहन मालिक नोटिसों का नहीं दे रहे जवाब
आरटीओ की ओर से 800 स्कूली वाहनों के मालिकों को बार-बार नोटिस देने के बावजूद वे जवाब नहीं दे रहे। यह नोटिस इसलिए दिया जा रहा ताकि पता लगाया जा सके कि उनका वाहन स्कूली वाहन के तौर पर चल रहा है या नहीं, वाहन इस्तेमाल में हैं या नहीं। जवाब नहीं देने से टैक्स व अन्य राजस्व का नुकसान भी हो रहा है। जानकारी मिल जाने पर इनका वेरिफिकेशन करवाया जा सकता है।