आईएमएस बीएचयू के हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर ओम शंकर ने पत्रकारवार्ता कर आइएमएस पर गंभीर आरोप लगाया है।
हृदय रोग विभाग में बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रोफेसर ओमशंकर ने कहा कि मरीजों की समस्याओं, नियुक्तियों में गड़बड़ी सहित जो भी शिकायत उनकी ओर से कुलपति से की जाती है, उसको वह सुनते नहीं है। और तो और सभी शिकायतों को नजर अंदाज कर अपने मन का फैसला लेते है, जो नियम विरुद्ध
प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रोफेसर ओमशंकर ने कुलपति पर मनमानी का आरोप लगाते हुए कहा कि हृदय रोग विभाग में जिन पदों पर नियुक्तियां की जानी थीं, उसके लिए 30 जुलाई से पहले इंटरव्यू की डेट रखी गई थी, लेकिन जान-बूझ कर कुलपति ने मेरा कार्यकाल खत्म होने के बाद 1=2 और तीन यानी अगस्त को साक्षात्कार की तिथि तय की है। क्योंकि, मैं अध्यक्ष रहता तो नियम की बात करता।
प्रोफेसर ओमशंकर ने कहा कि गैस्ट्रोलॉजी विभाग में अगर इंटरव्यू की बात करें तो वहां प्रमोशन के लिए इंटरव्यू देने वाले सभी शिक्षकों को अयोग्य करार दिया गया है। अब सवाल यह उठता है कि बीएचयू में जब उन शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी तो उसे समय उन्हें योग्य पाया गया और प्रमोशन के लिए जो कमेटी बनी थी उसने आरोग्य बता दिया है। यह विश्वविद्यालय की भूमिका पर एक सवाल खड़ा करता है।
कहा कि बीएचयू अस्पताल के चिकित्साधीक्षक पद पर तैनाती के तीन साल पूरा होने के बाद भी ऐसा क्या है कि कुलपति द्वारा किसी दूसरे की तैनाती नहीं की जा रही है। इस तरह की स्थिति तब है जब खुद भी वर्तमान चिकित्साधीक्षक पर पहले से ही कई आरोप भी लग चुके हैं।
अगर मैं गलत था तो हटाकर वापस क्यों नियुक्त किया गया
और तो और बीएचयू प्रशासन ने ही सीसीटीवी कैमरा लगवाने के साथ ही सुरक्षाकर्मियों को भी विभाग में बिठाया था, जिससे कि अनशन के बारे में सही जानकारी मिल सके। इसके बाद बीएचयू प्रशासन ने फिर मुझे 18 जुलाई 2024 को दोबारा नियुक्त कर दिया है।
अब सवाल यह है कि अगर मैं गलत था तो मुझे दोबारा बीएचयू प्रशासन ने क्यों नियुक्त किया। ऐसे में नियमानुसार 55 दिन मेरा कार्यकाल और होना चाहिए। इसके लिए मैंने एक पत्र भी बीएचयू प्रशासन को लिख दिया है।
बीएचयू अस्पताल का बजट 200 करोड़ से ज्यादा है फिर भी फीस बढ़ा रहा है प्रशासन
प्रोफेसर ओमशंकर ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीएचयू अस्पताल में कैंसर के मरीजों के जांच इलाज के साथ ही सर्जरी की फीस बढ़ाने का मामला भी प्रमुखता से उठाया। कहा कि जब उनकी बीएचयू में नियुक्ति हुई थी तब अस्पताल का बजट केवल 2 करोड़ था और मरीजों कई सुविधा निशुल्क मिल रही थी।
अब 200 करोड़ रुपये हो गए हैं। अचानक ऐसा क्या हो गया कि बीएचयू प्रशासन को जांच, इलाज सर्जरी की फीस बढ़ानी पड़ रही है। उन्होंने इसमें भी नियमों को दरकिनार करने का ही आरोप लगाते हुए इस पर मरीजों के हित में फैसला लेने की बात कही है।