काशी के इन आठ घाटों को और भव्य-नव्य बनाया जाएगा। यहां पर काशी का संत समाज बैठक भी कर सकेगा, इसके लिए खास व्यवस्था की जाएगी। साथ ही मियावाकी पद्धति से पौधे भी लगाए जाएंगे।
काशी के ओंकालेश्वर खंड के आठ घाटों पर भव्यता और नव्यता की अप्रतिम छटा बिखरेगी। घाटों पर काशी की संस्कृति के साथ आधुनिकता का समावेश होगा।
इन घाटों पर हरियाली के साथ दो एंफीथियेटर और बास्केटबॉल के मैदान भी होंगे। काशी की परंपरा में शुमार अखाड़े व साधु-संतों की बैठकी भी होगी। 650 मीटर में बन रहे इन घाटों के निर्माण में करीब 25 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
पुराणों में गंगा तट शिव काशी और विष्णु काशी में बंटा है। मणिकर्णिका से आदिकेशव घाट तक तक विष्णु काशी के नाम से जाना जाता है। इसी के बीच के आठ ऐसे घाट हैं, जिनका विकास पिरामल ग्रुप सीएसआर फंड से करवा रहा है।
राजघाट के पास के पंचअग्नि से राम घाट तक जिन आठ घाट चुने गए हैं। पहले चरण में पंच अग्नि से शक्का घाट के छह घाटों का निर्माण हो रहे हैं। दूसरे चरण में लाल व राम घाट का निर्माण होगा। इस साल के अंत तक कार्य पूरा हो जाएगा।
प्रह्लाद घाट, पंचअग्नि घाट, नया घाट, रानी घाट, तेलिया घाट, शक्का घाट, लाल घाट, राम घाट का नए सिरे से निर्माण किया जा रहा है।
ये होंगी सुविधाएं
नया घाट पर 6000 स्क्वायर फीट व तेलिया घाट पर 4000 स्क्वायर फीट में एंफीथियेटर बनेगा। इसमें 400 से 500 लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी। तेलिया घाट पर बास्केटबाॅल कोर्ट, शक्का घाट पर अखाड़ा बनेगा। सुरक्षा को देखते हुए नया घाट पर पुलिस चौकी बनेगी। इसके अलावा चार चेंजिंग रूम व शौचालय भी बनाए जा रहे हैं। सभी घाटों पर बैठने के लिए पत्थर की छतरी पर आकर्षक लाइटिंग होगी।
शक्का घाट पर विवाह हॉल
शहर में लॉन महंगा होने से घाट किनारे के लोगों को दिक्कत होती है। घाट किनारे के लोगों की परेशानी को देखते हुए शक्का बाबा मंदिर के पास विवाह सहित सभी मांगलिक कार्यों के लिए एक हॉल बनाया जा रहा है। इसमें 200 से अधिक लोगों के बैठने की व्यवस्था रहेगी।
मियावाकी पद्धति से इन घाटों पर आठ हजार पौधे लगाए जाएंगे। एक नर्सरी के संचालक दिनेश मौर्य ने बताया कि ज्यादा छायादार पौधे होंगे। इसमें छायादार पौधों में पीपल, बरगद व नीम लगेंगे। जबकि छायादार के साथ खूबसूरती बढ़ाने वाले फूलों में अमलतास, कचनार, गुलचीन चंपा, गुलमोहर, केसिया पीला, टीकोमा, कनैर, चांदनी, चटरुफा, यूफोरबिया मिली, कामनी आदि के पौधे लगाए जाएंगे।
चुनार के गुलाबी पत्थरों बन रहे घाट
आठ घाटों के निर्माण में चुनार के गुलाबी पत्थरों का प्रयोग किया जा रहा है। इसके लिए चुनार के अलावा राजस्थान के कारीगर नक्काशी कर घाटों की सीढि़यों का निर्माण कर रहे हैं। हर सीढ़ी छह इंच की है। चुनार के गुलाबी पत्थर गर्मी में ठंडे का एहसास कराते हैं। यह करीब 500 साल से अधिक समय तक चलेगा।
बोले अधिकारी
70 फीसदी कार्य पूरा हो गया है। बारिश के बाद दूसरे चरण का कार्य शुरू हो जाएगा। घाटों का नए सिरे से निर्माण के साथ ही पौधरोपण से पर्यावरण का संरक्षण भी होगा। काशी में और भी कार्य करवाए जाएंगे। – हरेंदर सिक्का, डायरेक्टर, पिरामल ग्रुप