वाराणसी से प्रकाशित ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, शुक्रवार को सावन मास के शुक्ल पंचमी तिथि का मान पूरे दिन और रात को नौ बजकर 54 मिनट तक है। इस दिन चित्रा नक्षत्र भी पूरे दिन और रात्रि तीन बजकर 47 मिनट तक है। चंद्रमा की स्थिति कन्या और तुला दोनों राशियों पर रहेगी।
वाराणसी से प्रकाशित ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, इस दिन सावन मास के शुक्ल पंचमी तिथि का मान पूरे दिन और रात को नौ बजकर 54 मिनट तक है। इस दिन चित्रा नक्षत्र भी पूरे दिन और रात्रि तीन बजकर 47 मिनट तक है। चंद्रमा की स्थिति कन्या और तुला दोनों राशियों पर रहेगी।
ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, दूध को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है। इसके साथ ही भगवान शिव के मस्तक पर भी चंद्रमा विराजमान हैं। बताया कि ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक ग्रह बताया गया है। मन को शिव के प्रति समर्पण के उद्देश्य से भी नागपंचमी पर नाग को दूध पिलाया जाता है।
पंडित जोखन पांडेय शास्त्री के अनुसार, हिंदू धर्म में नाग को भगवान शिव के गले का हार और भगवान विष्णु की शैय्या कहा गया है। ऐसे में माना जाता है कि नाग की पूजा करने से भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों प्रसन्न होते हैं।
पंडित शरद चंद्र मिश्रा के अनुसार, इस व्रत के एक दिन पूर्व यानि चतुर्थी को एक समय भोजन कर पंचमी तिथि को उपवास रखें। गरुड़ पुराण के अनुसार, व्रती अपने घर के दोनों ओर नागों को चित्रित करके उनकी विधि पूर्वक पूजा करें।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं। इसलिए भक्तिभाव के साथ गंध, पुष्प, धूप, कच्चा दूध, खीर, भीगा हुआ बाजरा और घी से नाग देवता का पूजन करें। उन्हें लावा और दूध अर्पण करें।