जिला अस्पताल में बुधवार को अजग-गजब का मामला सामने आया। यहां के सिस्टम ने बुजुर्ग सरजू को एक सप्ताह के भीतर कागज में दो बार मार डाला, बुधवार को तो पंचनामा भी भरवा दिया। वह तो भला हो परिजनों और मोहल्ले वालों की, कि उन्होंने सिस्टम की पोल खोलकर रख दी।
वार्ड में बुजुर्ग सरजू जिंदा मिले तो मौके पर हंगामा होने लगा। मौके पर मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों ने किसी तरह मामले को संभाला। दरअसल, इमरजेंसी वार्ड में भर्ती बक्शीपुर चौरहिया गोला निवासी सरजू (65) की मौत की सूचना वहां तैनात स्वास्थ्य कर्मियों ने मोहल्ले वालों को देकर उन्हें मोर्चरी में पंचनामा भरने के लिए बुला लिया।
करीब दो घंटे मोहल्ले वालों ने मोर्चरी और कोतवाली थाने की दौड़-धूप कर पंचनामा भरा। मोर्चरी से जब शव बाहर निकाला गया तो पता चला कि वह सरजू का नहीं है। परिजनों ने वार्ड में जाकर देखा तो सरजू अपने बेड पर लेटे थे।
बताया जा रहा है कि एक सप्ताह में सरजू की मौत की झूठी सूचना दूसरी बार स्वास्थ्यकर्मियों की ओर से दी गई है। बुधवार को स्वास्थ्य कर्मियों ने मौत होने का मेमो भी जारी कर दिया, जिसकी वजह से लोगों को परेशान होना पड़ा।
जानकारी के अनुसार, चौरहिया गोला निवासी सरजू एक मिनारा मस्जिद के पास रहते हैं। बुजुर्ग होने की वजह से उनका दिमाग भी थोड़ा कमजोर हो गया है। 24 जुलाई को उल्टी-दस्त होने पर मोहल्लेवालों ने उन्हें जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया था।
बुधवार को 12 बजे मोहल्ले के ही आमिर के पास जिला अस्पताल से कॉल आया कि सरजू की मौत हो गई है। उनका मेमो कोतवाली थाने भेज दिया गया है। आकर पंचनामा भर दें, ताकि पोस्टमार्टम कराया जा सके।
दिखाए गए दो शव
मोहल्लेवासी करीब दो घंटे तक कोतवाली थाने और मोर्चरी का चक्कर लगाते रहे। पोस्टमार्टम के लिए शव निकाला गया तो उसका चेहरा देखकर लोगों ने बताया कि यह सरजू नहीं हैं। इसके बाद मोर्चरी से दूसरा शव निकालकर दिखाया गया।
वह भी सरजू का नहीं था। मोहल्ले वालों ने काफी देर तक इमरजेंसी वार्ड में हंगामा किया। स्वास्थ्य कर्मियों के माफी मांगने पर वे शांत हुए। वहीं कोतवाली से आए पुलिस कर्मियों ने जो पंचनामा भरवाया था, उसे जल्दी-जल्दी फाड़कर फेंका गया।
मौत की सूचना पर पहुंची बहन
बताया जा रहा है कि चौरहिया गोला में सरजू अकेले रहते हैं। मौत की सूचना पर उनकी बहन आमना मायके से जिला अस्पताल पहुंचीं। वहां भाई को जिंदा देख वह चौंक गईं। अस्पताल के कर्मियों ने बताया कि सरजू को अज्ञात में भर्ती कराया गया था।
उनके बगल में ही घोष कंपनी का एक अज्ञात व्यक्ति भर्ती कराया गया था। बुधवार सुबह उसकी मौत हुई थी। गलती से सरजू का मेमो तैयार कर दिया था। जांच में पता चला है कि सरजू को खून की भी कमी है।
सुप्रीटेंडेंट जिला अस्पताल डॉ वीके सुमन ने बताया कि मैं लखनऊ ट्रेनिंग में आया हूं। इसका पता करवाता हूं। यह बड़ी चूक है। इमरजेंसी वार्ड में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा लापरवाही हुई है। जांच में दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।